कभी वो हमारे करीब से, फ़िज़ा महका के चले गये
कभी हम तड़प कर झांकने, उनकी गली में चले गये
पर कभी इज़हार ए मोहब्बत न कर सके हम,
और वो किसी अंजान का, हमसफर बन कर चले गये

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