हमने तो निभाये हैं रिश्ते दिल से,
लोग तो रस्म निभा कर चले जाते हैं
हमने तो ज़ख्म खाये हैं दिल पर,
लोग नमक छिड़क कर चले जाते हैं
कोई नहीं पूंछता मेरे दर्द को,
लोग मुंह फेर कर यूं ही चले जाते हैं
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लोग तो रस्म निभा कर चले जाते हैं
हमने तो ज़ख्म खाये हैं दिल पर,
लोग नमक छिड़क कर चले जाते हैं
कोई नहीं पूंछता मेरे दर्द को,
लोग मुंह फेर कर यूं ही चले जाते हैं