ज़िन्दगी में कभी कांटे, तो कभी गुलाब मिलते हैं
कभी मोहब्बतों के रंग, तो कभी अज़ाब मिलते हैं
ये दुनिया तो भरी पड़ी है अजीब से किरदारों से,
कहीं पे गिद्धों की टोली, तो कहीं सुर्खाब मिलते हैं
मत समझ लेना कि सब कुछ बराबर है दुनिया में,
कहीं दौलत ही दौलत, कहीं ख़ानाख़राब मिलते हैं
न समझ पाओगे कभी इस ज़माने की चालों को,
यहाँ मिलते हैं कभी शातिर, कभी जनाब मिलते हैं
अब तो जलवा है हर तरफ जालसाजों का "मिश्र",
कहीं मिलते हैं ज़रा कम, कहीं बेहिसाब मिलते हैं