Uttarakhand
सुन्न हो गयी हजारों आवाजें पुकारते पुकारते
अपलक रह गयी कितनी निगाहें,निहारते निहारते
कहीं मांग का ‎#सिन्दूर, तो कहीं ‎#राखी का रिश्ता
कहीं सूनी गोद हुए तो कहीं ‎#आसरा ही छूटा.
'उफ़! क्यूँ है ये मंज़र बेबसी का ', इस् से क्या होगा ..
हर हाथ बड़े ‎#सहारा बन यही है बेहतर मौका
आज ‎#इंसान के भीतर, इंसान को जगाना होगा ,
ऐ ‎#खुदा! तेरे इम्तेहान का दूसरा पहलू भी निभाना होगा

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