खुद अपने ही दीये ने, अपना घर जला दिया ,
समझा जिसे दिल, उसने ही दिल जला दिया !
तमन्नाओं का हुज़ूम लिए बैठे रहे उम्र भर,
इंतज़ार ए वक़्त ने, हमें बुझदिल बना दिया !
न जीना ही सीख पाए ठीक से न मरना ही,
हमने खुद को ही, खुद का क़ातिल बना दिया !
न चाहत सुकून की न फ़िक्र मौजों की यारो,
#ज़िन्दगी को बेकशी की, महफ़िल बना दिया !
किसको दोष दूं खुद को या तक़दीर को "यारो,
संभलते संभलते भी, अपना दामन जला दिया !!!
You May Also Like





