क्या उनके लबों ने कभी मेरा गीत गुनगुनाया होगा
क्या किसी के पूछने पर उसने मेरा नाम बताया होगा
सुन के मंज़र मेरी बर्बादियों का किसी और से
क्या उनके खयालों में मेरा अक्श उभर आया होगा
बड़ी खुशफहमी पाल रखी है दिल ने उनके लिये
भला मेरे बदहाल से उन पर क्यों असर आया होगा
अपनी बेवफाई का आलम भूल पायेंगे कैसे भला
उन का दिया वो दर्द क्या उनको समझ आया होगा
हम तो गुनाहगार मानते हैं ख़ुद को अब भी
क्या उनके भी दिल में कभी ये ख्याल आया होगा...

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