कटती है पतंग तो, उसकी कोई डगर नहीं होती
कहाँ पे जा अटकेगी, किसी को खबर नहीं होती
ज़िन्दगी का पहिया कहाँ अटक जाये क्या पता,
कब थम जाएंगी सांसें, किसी को खबर नहीं होती
#आदमी समेंटता है क्या क्या न जाने किसके लिए,
बाद मरने के क्या होगा, किसी को #खबर नहीं होती
ख़ुशी से जीना है तो लोगों के #दिल में जियो, वरना
#नफ़रत से भरे लोगों की, किसी को खबर नहीं होती

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