मंदिर में भजन गाने से क्या मिलेगा,
झूठी भक्ती दिखाने से क्या मिलेगा !
अंदर भरा है मैल #नफ़रत का इतना,
कि रोज़ गंगा नहाने से क्या मिलेगा !
निहारता है सब कुछ वो ऊपर बैठ कर,
उससे सच को छिपाने से क्या मिलेगा !
भुलाया खुशियों में बेकार समझ कर उसे,
अब दुखों में याद आने से क्या मिलेगा !
भेज था हमें तो पैग़ामे #मोहब्बत दे कर,
उसकी मर्जी भूल जाने से क्या मिलेगा !
जो हर जगह मौजूद है हर पल हर घड़ी,
उसके लाखों घर बनाने से क्या मिलेगा !
ज़रा झांक कर देखो अपना गिरेवाँ दोस्त,
कमियाँ औरों की बताने से क्या मिलेगा !!!

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