हमें तो हर कदम पर, ग़मों का ज़हर पीना पड़ा है
जीने की चाहत है मगर, घुट घुट कर जीना पड़ा है
दुनिया से जज़्बा ए मोहब्बत ख़त्म हो रहा है अब,
बोलने का हक़ है मगर, इन होठों को सीना पड़ा है
लोगों को #मोहब्बत नहीं अपनी दौलत पर घमंड है,
मगर हमें तो ख़ुदा के, रहमो करम पर जीना पड़ा है
न निभाया साथ उसने भी जिसको कहा था अपना,
हमें तो अपनी #ज़िन्दगी को, तन्हा ही जीना पड़ा है
उम्र के इस पड़ाव पर भी लगता है डर मुझको यारो,
सताते हैं वो अफ़साने, जिसका किरदार जीना पड़ा है

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