क्या दौर आया है #वक़्त का यारो,
हरेक शख्स पर छाया,  #मोहब्बत का बुखार मिलता है...
करता है बेसब्री से #इन्तजार......
फिर भी #मुलाकात का उसमें #खुमार मिलता है...
नही #जानता कि क्या #अर्थ है, #मोहब्बत के #अल्फ़ाजों का
वो तो #मोहब्बत के #नशे में चूर #सरे_ओ बाजार मिलता है,
करता है मोहब्बत उस #शख़्स से इतनी #बेइम्तहाँ..
फिर भी उसे #बेबफाई का #मोहब्बत में #एहसान मिलता है...
मिलता है #इन्कार जब मोहब्बत में #हमनशी का,
उसे तब #जिन्दगी की #हकीकत का #सार मिलता है...

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