आँखें मिलने पर कभी नज़रे झुकाते थे,
वो आज हमसे नज़रें चुराने लगे हैं,
खंडर हो चूका हमारे सपनों का मकां,
और वो महलों में घर सजाने चले हैं.😢
आँखें मिलने पर कभी नज़रे झुकाते थे,
वो आज हमसे नज़रें चुराने लगे हैं,
खंडर हो चूका हमारे सपनों का मकां,
और वो महलों में घर सजाने चले हैं.😢