प्यार की दास्तां, किसी से भला क्या कहिये
खुदगर्ज़ दुनिया से, अपने अज़ाब क्या कहिये
दास्तां तो बनेगी मौत के बाद यारो,
दर्द ए दिल को, ख़ुद जुबानी भला क्या कहिये
प्यार की दास्तां खुद बता देगा ये वक़्त,
अब किसी को, अपना पराया भला क्या कहिये
भूल जाते थे ग़म जब वो पास होते थे,
अब उन गुज़रे हुए पलों को, भला क्या कहिये
आँखों की आदत होती है बस रो देना,
दिल चाहता है आज भी, तो भला क्या कहिये
अच्छा हुआ कि यार बेवफा हो गया,
हम फुरसत में जान दे दें, तो भला क्या कहिये

Leave a Comment