वो आये थे मेरे घर पे, मगर बदनाम कर गए !
वो न जाने कितनी तोहमतें, मेरे नाम कर गए !
सोचता हूँ कि ये वक़्त भी क्या चीज़ है यारो,
जिसके बदलते ही वो, रिश्ते तमाम कर गए !
जूझते रहे ताउम्र जिनकी आफतों के किये,
वो ही तमाशा औकात का, सरे आम कर गए !
महफूज़ रखा दिल में जिन्हें अपना समझ के,
वो उसमें ही ज़ख्म दे के, जीना हराम कर गए !
सफर में हर ठोकर का इक मतलब है "मिश्र",
खुश हूँ कि अगला कदम वो, आसान कर गए !!!