मेरी शराफ़त ने ही, मुझको बर्बाद कर दिया,
अपना घर फूंक, औरों का आबाद कर दिया !
बड़ा ही घमंड पाल रखा था अपने खून पे मैंने,
उसने आज रिश्तों से, मुझे आज़ाद कर दिया !
अफ़सोस, कि खून भी मतलब परस्त हो गया,
मतलब निकलते ही, रिश्तों को हलाल कर दिया !
हम तो निभाते रहे बस बड़प्पन का लिहाज़ दोस्तो,
पर उसने अपना ज़मीर, समझो खाक कर दिया !
समझते रहे जिसको अपना ही सब कुछ हम,
उसने ही मेरी सख़्शियत को, बदहाल कर दिया !!!

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