अपने ज़ख्मों को, सबसे छुपा कर देख लिया हमने
लबों पर झूठी मुस्कान, दिखा कर देख लिया हमने
इस ज़रा सी ज़िंदगी के बस ज़रा से सफर में दोस्तो,
न जाने किस किस को, आज़मा कर देख लिया हमने
अफसोस उनकी नज़रों में अब हमारा नहीं कोई वज़ूद,
उन मौका परस्त लोगों को, निभा कर देख लिया हमने
वैसे तो अपनी ख्वाहिश न थी शुर्खरू बनने की कभी,
फिर भी अपनी चाहतों को, मिटा कर देख लिया हमने...

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