तुम तो बड़े ज़ालिम, दिले नाशाद निकले ,
समझा मासूम परिंदा, पर सय्याद निकले !
सोचा कि तड़पता होगा तुम्हारा भी दिल,
मगर तुम तो दिल से, निरे फौलाद निकले !
हंसी ख्वाबों को सजाया था जतन से हमने,
मगर ये किस्मत के लेखे, नामुराद निकले !
लगा दीं तोहमतें हज़ार तुमने हम पर दोस्त,
पर हम पर लगे इल्ज़ाम, बेबुनियाद निकले !
हम तो आये थे इधर, खुशियों की तलाश में
मगर जिधर भी निकले, हो के बर्बाद निकले !!!

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