वक़्त गर साथ है, तो जमाना भी साथ देता है
खुशियों में, अपना क्या पराया भी हाथ देता है
और जब वक़्त की होती है नज़र टेढी,
तो दुश्मन ही क्या, अपना खून भी घात देता है
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वक़्त गर साथ है, तो जमाना भी साथ देता है
खुशियों में, अपना क्या पराया भी हाथ देता है
और जब वक़्त की होती है नज़र टेढी,
तो दुश्मन ही क्या, अपना खून भी घात देता है