कोई तो मेरे वजूद को, ठुकरा कर चला गया
और कोई झूठी ख्वाहिशें, जगा कर चला गया
कोई तमाशा देखता रहा दूर से ही खड़ा खड़ा,
तो कोई दिल का दीया, बुझा कर चला गया
अफ़सोस हम यूं ही बनाते रहे रिश्ते पे रिश्ते,
पर वक़्त पे हर कोई, सर झुका कर चला गया
कहते थे कभी हम जिसे खून का रिश्ता,
वक़्त पर वो भी, खून को भुला कर चला गया...

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