वो तो हमसे, नफरत ही करते रहे उम्र भर
पर हम थे कि, #प्यार में मरते रहे उम्र भर
अपना सफ़र तो ठहर गया बंद गलियों में,
पर औरों का सफ़र, तय करते रहे उम्र भर
नाम ओ शोहरत को बेनाम कर दिया चाहे,
पर औरों का नाम, ऊँचा करते रहे उम्र भर
हमारे #दिल से खेलती रही ज़ालिम दुनिया,
और हम इशारों पे, नाच करते रहे उम्र भर
खुद दर ब दर भटकते रहे #नसीब के मारे,
पर महल दूसरों के, खड़े करते रहे उम्र भर...

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