उनकी यादें ऐसी कि, दिल से मिटा भी नहीं सकते
दिल मांगता है वही, जो उसे दिला भी नहीं सकते
वक़्त ने कुछ इस कदर सिल दी है हमारी ज़ुबान,
कि दिल की चीखें, किसी को सुना भी नहीं सकते
अफ़सोस होता है अपनी इस बेबस ज़िन्दगी पर,
कि दास्तान ए ग़म, किसी को बता भी नहीं सकते
सोते हैं चैन से वो क्या जानें आसमां का आलम,
कितना चिढ़ाते हैं सितारे, हम जता भी नहीं सकते
बेवफाओं की नगरी है ये ज़रा बच के रहिये,
गर घोंप दे खंज़र कोई, खुद को बचा भी नहीं सकते...

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0