बस तमाम उम्र, गलती यही वो करता रहा,
औरों की गलतियां, अपने सर वो धरता रहा !
लिए फिरता रहा भले ही धूल चेहरे पे अपने,
मगर औरों के चेहरों को, साफ़ वो करता रहा !
न देखी खुशियां कभी उसके चेहरे पर हमने,
जाने कितनों के ग़म, दिल में वो भरता रहा !
अफ़सोस कि न दिया किसी ने साथ उसका,
खुद के लिए दुनिया से, अकेला वो लड़ता रहा !
तारीफ़ में शब्द भी बोनें नज़र आते है,
दगा के बाद भी, भला औरों का वो करता रहा !

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