कितना ही दिल बहलाएं मगर, दर्द कम नहीं होते
कितने ही आंसू बहाएं मगर, ये गम कम नहीं होते
ख्वाहिशें बहुत पाली हैं अपनों से इस दिल ने मगर,
आज कल ये अपने भी, कोई गैरों से कम नहीं होते
गुलशन में मचलती हुई बहारें अच्छी लगती हैं हमें,
मगर गुलशन के हालात भी, हमेशा इकरंग नहीं होते
हम कितनी भी दुआ करें किसी की खुशियों के लिए,
मगर क्या करें उनके ख़यालों में, कभी हम नहीं होते
क्यों सोचता हूँ मैं ये दर्द की बातें इस उम्र में,
गर ज़िंदगी में दर्द न होते, तो आज हम हम नहीं होते...

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