रिसते हुए ज़ख्मों को संभालते, ज़िंदगी गुज़र गयी
इसकी टोपी उसके सर उछालते, ज़िंदगी गुज़र गयी
#दिल को कहाँ करार था कि प्यार भी करते हम,
यूं ही अपनों के रिश्ते संभालते, #ज़िंदगी गुज़र गयी...

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