लेते हैं हर चीज़ मेरी, अपना सामान समझ कर,
जब मांगते हैं हम, तो देते है अहसान समझ कर !
गैरों से बात करते हैं जैसे कि वो अपने हैं उनके,
पर हमसे पेश आते हैं वो, पराया इंसान समझ कर !
छुपा रखा है उनको #ज़िन्दगी समझ कर दिल में,
मगर पेश आते हैं हमसे वो, अनजान समझ कर !
हमें #मोहब्बत है उनसे जानते हैं बदस्तूर वो मगर,
उड़ा देते हैं जज़्बात मेरे, वो एक नादान समझ कर !
कर दी निसार उन पर ज़िन्दगी की हर ख़ुशी,
पर भूल गया हमें वो, खोया हुआ ईमान समझ कर !

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0