कहीं बैठ के कोने में, मैं रोना चाहता हूँ ,
ग़मों को आंसुओं से, मैं धोना चाहता हूँ !
जाने कब मिलेगी घुटन से निज़ात यारो,
पुरानी यादों को अब, मैं खोना चाहता हूँ !
कोई तो होगी तदबीर कि दुबारा जी लूँ,
जीवन के धागों को, फिर पिरोना चाहता हूँ !
बहुत ख़्वाब देखे हैं मैंने रातों में जाग कर,
अब दुनिया से बेखबर, मैं सोना चाहता हूँ !
बहुत जी लिया मैं साजिशों के बीच "मिश्र",
नई दुनिया का सपना, मैं सजोना चाहता हूँ !!!
बिता दी हमने यूं ही, ये ज़िन्दगी किस के लिए !
उधार ला कर रख दी, ये रौशनी किस के लिए !
गफ़लतों के शहर में कुछ भी न आता है समझ,
आखिर #दिल के सामने, ये बेबसी किस के लिए !
ज़िन्दगी के सफर में देखा है जाने कितनों को,
कोंन दिल में आ घुसा, ये बेकली किस के लिए !
जब अंधेरों में भटकना #नसीब है अपना ,
तो #ज़िन्दगी की रात में, ये चाँदनी किस के लिए !
Dekha maine sapna to mohabbat mil gayi
Ujde hue chaman me jaise ek kali si khil gayi
Behte rahe aansoo ankhon se sari raat mere
Jaise aake koi nadi aankhon mein ghul gayi...
UDAS TO REHTE HI HAIN
YAAD KARNE KE BAAD
AANSUO KI KAMI BHI
PURI HO JATI HAI...
KITNA BHI CHAHO PURA KARNA
PAR MOHABBAT HAMESHA
ADHURI HI REH JATI HAI....