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कभी रिश्ते बनाने में उम्र गुज़र जाती है
कभी रिश्ते निभाने में उम्र गुज़र जाती है
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आँखों के समंदर में
कभी उतर कर न देखा,
#दिल के #दरिया में
कभी बहकर न देखा...
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मुद्दत गुज़र जाती है अपनों को अपना बनाने में,
वक़्त यूं ही गुज़र जाता है बस मुश्किलें सुलझाने में...
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दिलों में नफ़रत, चेहरों पर मुस्कान रखते हैं
वो नज़रों से छुपा कर, तीर कमान रखते हैं
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तेरे साथ कितनी थी हसीन ज़िंदगी
अब तेरे बिन है ये एक सज़ा ज़िंदगी
तेरा साथ था कितने मज़े में थे हम
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एक टीस है दिल में, जिसे ज़माने से छुपाये बैठा हूँ
किसी की ज़फ़ाओं का सदमा, दिल में बसाये बैठा हूँ
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कभी हम भी उनके नज़दीक रहा करते थे
उनके दिए हर दर्द ओ ज़ख्म सहा करते थे
अपनी ज़िंदगी को न जाना
कभी अपना
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गिले शिकवे #दिल से न लगा लेना,
कभी रूठ जाऊं तो मना लेना,
कल का क्या पता हम हो न हो,
इसलिए जब भी मिलूं,
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अल्लाह की रहमत में, बेईमानियाँ नहीं हुआ करतीं
मोहब्बत के भी खेल में, नादानियां नहीं हुआ करतीं
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गर मुझे मुकद्दर पे ऐतबार है तो तेरी वजह से
घर का गुलशन गर गुलज़ार है तो तेरी वजह से
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