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किसी को आखिर हम भुलाएँ कैसे,
किसी को बे सबब हम रुलायें कैसे !
झूठे सपने दिखाना नहीं आता हमें,
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हमें तो दिल लगाने के, अब लायक न छोड़ा,
दिल को और ग़म उठाने के, लायक न छोड़ा !
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किसी को बेसबब, यूं सताने की कोशिश न करो !
अपनी गलती पे, मुँह छुपाने की कोशिश न करो !
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हूँ परेशान मगर, नाराज़ नहीं हूँ ,
झूठे #सपनों का, मोहताज़ नहीं हूँ !
जिया हूँ ग़मों में भी मज़े के साथ,
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चाहत की इस दुनिया में, केवल व्यापार मिले मुझको
चाहा जिसे फूलों की तरह, उससे ही खार मिले मुझको
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चलिए मगर, यूं फासले, मत बनाइये
फ़क़त अपने लिए रस्ते, मत बनाइये
हैं और भी मुसाफिर तेरी राहों के यारा
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किसी की मजबूरियों पर, हंसा मत करिये
यूं बेसबब
झूठे गरूर का, नशा मत करिये
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