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Zindagi ka rang badrang

मुझे तो हर तरफ, सिर्फ अँधेरा नज़र आता है,
ज़िंदगी का हर रंग, अब बदरंग नज़र आता है !
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Dil fir se akela ho gya

कभी जलते थे दीप खुशियों के, अब अँधेरा हो गया,
अब तो किसी से प्यार करना, जी का झमेला हो गया !
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Zindagi bhar ki tanhai

चेहरे पे ग़म, दिल में रुसबाइयां दे गया कोई !
जाते जाते भी, आँखों में रुलाइयां दे गया कोई !
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Insan Khud Ko Badle To

कोई दुनिया को नहीं बदल सकता,
सिर्फ इतना हो सकता है कि इंसान
अपने आप को बदले तो
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Zindagi Ek Kitab Hai

आदमी के तजुर्बों की, एक किताब है ज़िन्दगी,
उसकी ख़ुशी और ग़मों का, हिसाब है ज़िन्दगी !
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Zamane ko dosh dete hain

हैं करम उनके दोषी मगर, तक़दीर को दोष देते हैं
वो बोते हैं खुद बबूल मगर, जमीन को दोष देते हैं
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Hum Khud Badal Gye

कहाँ से चले थे मगर कहाँ आ गए, हम संभलते संभलते
खुद को ही बदल डाला हमने, दुनिया को बदलते बदलते
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Zindagi Ne Rulaya Humko

न पूछो कि ज़िन्दगी ने, कितना रुलाया हमको,
कैसे खास अपनों ने, जी भर के सताया हमको !
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Kamaal Hai Aadmi

औरों के लिए बुनता है, कपट का जाल आदमी,
मगर खुद ही फंस कर होता है, बेहाल आदमी !
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Koi gam bantne nahi aata

दुनिया में किसी का कोई, ग़म बंटाने नहीं आता,
कोई लफ़्ज़ों का मरहम भी, अब लगाने नहीं आता !
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