औरों के लिए बुनता है, कपट का जाल आदमी,
मगर खुद ही फंस कर होता है, बेहाल आदमी !
ज़िन्दगी भर भुगतता है वो अपने ही करम को,
पर फिर भी न बाज़ आता है, बेखयाल आदमी !
कभी करता है धोखा वो सच्ची #मोहब्बत में भी,
तो बनाता है झूठ को भी सच, ये कमाल आदमी !
कभी खो जाता है दुनिया की भीड़ में बस यूं ही,
तो कभी दुनिया में बनता है, एक मिसाल आदमी !
कभी रुलाता है औरों को तो कभी रोता है ख़ुद भी,
मित्रो कुछ ऐसा है अनपूंछा, एक सवाल आदमी !!!