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पता नहीं ये दुनिया किधर जा रही है
इंसानियत खून के आंसू वहा रही है
दुश्मनी का जैसे सैलाव आ गया है,
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इन फरेबों से भरी दुनिया में, ऐतबार है
दोस्ती,
अपनी मंज़िल पाने के लिये, सह सवार है
दोस्ती,View Full
अगर बिकी तेरी #
दोस्ती,
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत,
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हर मुश्किल में, साथ निभाता है दोस्त
हमारे ग़मों को, अपना बनाता है दोस्त
खून के रिश्ते छूट जाते हैं पीछे, मगर
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जीना चाहा तो ज़िन्दगी, दूर होती चली गयी !
कमाल ये कि हर शै, मजबूर होती चली गयी !
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यूं ही कभी तालियां, तो कभी गालियां मिलती रहेंगी
कहीं पर ग़म, तो कहीं पर शहनाइयां मिलती रहेंगी
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