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जीना चाहा तो ज़िन्दगी, दूर होती चली गयी !
कमाल ये कि हर शै, मजबूर होती चली गयी !
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तुम्हारे चेहरे पे, रंजो ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमको गुलों के संग, खार अच्छे नहीं लगते !
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गुज़रेगी चैन से ज़िन्दगी,
हम भी मतलब परस्त हो गए,
चमकते थे सितारे बन आँखों में जो, कब के अस्त हो गए
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धन तो मिल गया लेकिन, सुकून की दौलत न मिली
घर तो मिला लेकिन
हमें, रहने की मोहलत न मिली
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दुनिया ने ठोकर मार कर,
हमको चलना सिखा दिया
इस जीवन के रंज़ो ग़म ने,
हमको रहना सिखा दिया
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जाते जाते भी तो वो, हज़ार ग़म दे गया
हमको,
यूं ही मर मर के, जीने की #कसम दे गया
हमको !
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जिन्दगी की कशमकश ने, चाहतों को मार डाला,
धूप की इस तपिश ने, ठंडी हवाओं को मार डाला !
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मुझे तो हर तरफ, सिर्फ अँधेरा नज़र आता है,
ज़िंदगी का हर रंग, अब बदरंग नज़र आता है !
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एहसान करके जताना, ज़रूरी नहीं होता,
#चाहत है कितनी बताना, ज़रूरी नहीं होता !
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कभी जलते थे दीप खुशियों के, अब अँधेरा हो गया,
अब तो किसी से प्यार करना, जी का झमेला हो गया !
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