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मोहब्बत के नाम से डर गया हूँ मैं
अपनी ही नज़रों में गिर गया हूँ मैं
बेवफाई का जिक्र क्या करना "मिश्र"
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ज़िंदगी तेरे हर कदम पे रोना आया
तेरे सफर की हर डगर पे रोना आया
कैसे जिया हूँ अब तक ये खुदा जाने,
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जो पूँछा हाल उनका, तो मूंह छुपा कर रो दिये
डबडबाई आँखों में, दर्दे दिल छुपा कर रो दिये
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कभी खुशियों के कारवां, तो कभी #गम के मेले
कभी आशा की रौशनी, कभी निराशा के अँधेरे
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एक ज़िन्दगी थी, वो भी तन्हा हो गयी
जीने की #तमन्ना, न जाने कहाँ खो गयी
#दिल था अपना वो भी बे वफ़ा हो गया,
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देख लिया गैरों को, हमने अपना बना के
लूट लिया हम को,
हसीन सपना दिखा के
किस कदर रोता है दिल उनकी बेरुखी पे,
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तेरे साथ कितनी थी
हसीन ज़िंदगी
अब तेरे बिन है ये एक सज़ा ज़िंदगी
तेरा साथ था कितने मज़े में थे हम
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दिल खोल कर रख दिया, उन्हें #दिलदार समझ कर
अपनी ज़िन्दगी दे दी हमने, अपना #यार समझ कर
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खुशियों का दुश्मन, जमाना क्यों बन बैठा !
जिसको भी चाहा, वही बेगाना क्यों बन बैठा !
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किसी से मोहब्बत हम, निभाएं तो कैसे निभाएं
हर तरफ हैं कांटे, खुद को बचाएं तो कैसे बचाएं
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