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निगाहें मिला कर किया दिल को जख्मी,
अदाएँ दिखाकर सितम ढाह रहे हो.
वफाओं का क्या खूब बदला लिया है,
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बनाने वाले ने दिल कांच का बनाया होता
तोड़ने वाले के हाथ में जख्म तो आया होता
जब भी देखता वो अपने हाथों को
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मेरे पीठ पर जो जख्म है
वो अपनों की निशानी है..!!!
वरना
सीना तो आज भी
दुश्मनो के इंतजार में बैठा है..!
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दूसरों में कमियाँ ढुढने वाले लोग
उस मक्खी की तरह होते है
जो सारे खूबसूरत जिस्म को छोड कर
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वक्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है...
कौन चाहता है अपने से दूर होना,,,
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मजबूर थे जो #मोहब्बत हम ज़ता न सके,,,
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ज़ख्म खाते रहे मगर किसी को बता न सके...
चाहतों की हद तक #चाहा उनको यारो,,,
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मेरी तो ज़िन्दगी का, बस इतना फ़साना है
राहों में कांटे हैं मगर, कुछ दूर और जाना है
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गुज़र गया जो वक़्त, उसे फिर मुड़ते नहीं देखा
टूट गए जो #प्यार के रिश्ते, फिर जुड़ते नहीं देखा
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पुरानी #यादों को, सजाने में क्या रखा है
सूखे
ज़ख्मों को, सहलाने में क्या रखा है
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अपने वज़ूद को ही, अंधेरों में छुपा लिया हमने
कमज़ोर दिल को, इक पत्थर बना लिया हमने
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