Shanti Swaroop Mishra

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Zindagi ne sab sikha diya

जो न सिखा सकीं किताबें, ज़िन्दगी ने सिखा दिया
उसने चेहरे की इबारतों को, हमें पढ़ना सिखा दिया
जो झूठ का नक़ाब ओढ़े बनते थे हमारे जानो जिगर,
उनकी असलियत से परदा, हमें उठाना सिखा दिया
जो अल्फ़ाज़ हलक़ में फंसे रहते थे काँटों की तरह
इस दुनिया के सामने अब, हमें कहना सिखा दिया
उलझनों के दरिया से कई बार डूब कर बच निकले,
खुदाया #जिंदगी के झटकों ने, हमें तैरना सिखा दिया...

Hum Pareshan Ho Gye

जिनके लिये दुनिया में, हम बदनाम हो गये
उनके दिल की हर बात पर, कुर्बान हो गये
जब देखा की अब उनके लिये बेकार हैं हम,
तब उनके लिये हम, कचरे का सामान हो गये
क्या करें ये दुनिया बड़ी ही बे रहम है दोस्तो,
इश्क़ में खा के ठोकरें, हम लहू लुहान हो गये
बहुत जंग हारे हैं हम वफाओं के नाम पर,
खुदाया हम तो इस दुनिया से, परेशान हो गये...

Meri Zindagi Hi Ajeeb Hai

मेरी ज़िंदगी ही अजीब है, और को क्या कोसना
जब ज़ख्म पाये अपनों से, गैरों को क्या कोसना
यादों के ऊंचे ढेर में दब गये अफसाने अपनों के,
मुश्किल से भूल पाये हैं, फिर से उन्हें क्या खोजना
सब को पता होती है अपने चेहरों की हकीकत,
कुछ भी न बदलेगा यारो, फिर आईना क्या पोंछना
वैसे भी क्या कमी है नये ज़ख्मों की आज कल,
जो भर चुके हैं घाव तो, फिर से उन्हें क्या नोचना...

Kyun marta hai aadmi

जिधर देखो दुनिया में, बस दिखता है आदमी
फिर भी क्यों तन्हा सा, यहाँ दिखता है आदमी
चुप चाप जमाने के सहते हुए ज़ुल्मो सितम,
खुद ही अपनी लाश को, लिए फिरता है आदमी
अजीबो गरीब दुनिया का ये कैसा चलन है,
आदमी के ही हाथों रोज़, यहां मरता हैं आदमी
इक पल का चैन मयस्सर नहीं किसी को कभी,
ज़िन्दगी भर फ़िक्र से ही, यहां मरता है आदमी
चिंता से भरी रातें तो गुज़र जाती हैं जैसे तैसे
फिर सुबह से शाम तक, बिकता फिरता है आदमी
कही कुदरत की मार कभी सियासत के लफड़े,
यूं ही दुनिया के कष्टों में, यहां घुटता है आदमी...

Zindagi ka ye fasana hai

मेरी तो ज़िन्दगी का, बस इतना फ़साना है
राहों में कांटे हैं मगर, कुछ दूर और जाना है
कैसे हैं लोग कैसी है इस दुनिया की रिवाज़ें,
ज़ख़्मी है नशेमन, मुझे फिर भी मुस्कराना है
महफ़िल में रंग जमाना अब मुश्किल है यारो,
क्योंकि मेरे गीत अधूरे, और संगीत पुराना है
उम्मीद नहीं कि मिल भी पायेगी मंज़िल मुझे,
रहबर भी न कोई, न आगे का कुछ ठिकाना है
खुदाया कुछ मोहलत और दे दे ज़िन्दगी को,
अभी तो ज़माने को, कुछ और सितम ढाना है...

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