कांटे मुझे मिलते रहे, हमेशा ही यार की तरह
चुभन से मिलता रहा, दर्द भी प्यार की तरह
फूलों ने मुंह मोड लिया न जाने क्या सोचा,
मैने भी उन्हें भुला दिया, भूले करार की तरह
अफसोस कि उन्हें गम नहीं अपनी ज़फा का,
पर हमतो यूं ही लुट गए, उजडे बज़ार की तरह
मंझधार में अकेला छोड कर चले गये वो अपने,
और हम समझ बैठे उन्हें, इक पतवार की तरह
दुश्मनों ने निभाई दुश्मनी बड़ी ही शिद्दत से,
पर अपनों ने आंखे फेर लीं, गुनहगार की तरह..
अपने दुखड़े, ओरों को सुनाने से क्या मिलेगा
अपने ज़ख्म, ओरों को दिखाने से क्या मिलेगा
ज़रा से लम्हें बस बचे हैं इस ज़िंदगी के यारो,
आखिर उन्हें, रो-रो कर गंवाने से क्या मिलेगा
कोई किसी के गम नहीं बांटता आज कल यहां,
आखिर तुम्हें, यूं फज़ीहत कराने से क्या मिलेगा
जो बोया है काटना पड़ेगा खुद को ही आखिर,
किसी ओर पर, तोहमत लगाने से क्या मिलेगा....
लौट जाओ अपनी दुनिया में, जहाँ सब कुछ तुम्हारा है
जो दिख रहा है तुझको आगे, एक छलावा है शरारा है
जल जायेंगे तेरे अरमान भी मिट जायेगा तू भी यारा
इन गंदगी की राहों में, न कोई हमारा है न तुम्हारा है
गुनाहों के समंदर में गर घुस गये इक बार भी तुम,
भटक कर रह जाओगे उसमें, न कोई उसका किनारा है...
अपने ज़ख्मों को, सबसे छुपा कर देख लिया हमने
लबों पर झूठी मुस्कान, दिखा कर देख लिया हमने
इस ज़रा सी ज़िंदगी के बस ज़रा से सफर में दोस्तो,
न जाने किस किस को, आज़मा कर देख लिया हमने
अफसोस उनकी नज़रों में अब हमारा नहीं कोई वज़ूद,
उन मौका परस्त लोगों को, निभा कर देख लिया हमने
वैसे तो अपनी ख्वाहिश न थी शुर्खरू बनने की कभी,
फिर भी अपनी चाहतों को, मिटा कर देख लिया हमने...
किसी ने मिट्टी का बना दिया
किसी ने पत्थर का बना दिया
मैंने तो जान बख्शी थी सबको
पर सबने मुझे बेजान बना दिया
वाह रे #इंसान अज़ब है तेरी लीला
मुझे तूने क्या से क्या बना दिया
बिकने लगा हूँ बाजार में अब तो
तूने मुझे बिकाऊ माल बना दिया
दिलों में रखने की न थी गुंजाइश
तो अलग से मेरा घर बना दिया....