Muskurata Hun Dunia Ki Khatir
मतलबी ज़माने से, बहुत बेज़ार है मेरा दिल
किसी की चाहतों का, तलबगार है मेरा दिल
मुस्कराता हूँ सिर्फ दुनिया की खातिर मैं,
वर्ना ग़म के अंधेरों में, गिरफ़्तार है मेरा दिल <3
मतलबी ज़माने से, बहुत बेज़ार है मेरा दिल
किसी की चाहतों का, तलबगार है मेरा दिल
मुस्कराता हूँ सिर्फ दुनिया की खातिर मैं,
वर्ना ग़म के अंधेरों में, गिरफ़्तार है मेरा दिल <3
तुम मेरी रातें मेरी सुबहो शाम ले जाओ
जो कुछ है घर में सब सामान ले जाओ
तुम नहीं तो क्या करूँगा इन चीज़ों का
चाहो तो अपने खत ओ #पैगाम ले जाओ
मेरे अहसास भटकते हैं घर में तो क्या
हो सके तो उन्हें भी तुम बेदाम ले जाओ
कैसे जाने दूँ मैं तुम्हें खाली हाथ घर से
गर तुम्हारे काम आये तो जान ले जाओ...
उनकी चाहतें दिल में समाती चली गयीं
वक़्त की आंधियाँ करीब आती चली गयीं
जब गुलशन में फूलों को मुस्कराते देखा
यादें जो आईं उनकी तो आती चली गयीं
सोचा न था कि ये दिन भी आयेगा कभी
मेरी वीरान रातें मुश्किलें बढ़ाती चली गयीं
क्या अजीब बला हैं ज़िंदगी की राहें यारो
मैं थकता रहा मगर वो दौड़ाती चली गयीं...
खिंची चली आती हैं तितलियाँ, फूलों के क़रीब
भंवरे भी छेड़ते हैं अपनी तान, फूलों के क़रीब
भला कोंन जाता है कांटों की चुभन सहने को,
उनसे बच कर निकल जाना ही, होता है मुफीद
मुस्कराते चेहरों पर दीवानी हो जाती है दुनिया,
कोंन झांकता है भला, रोते हुए चेहरों के क़रीब
जीना है तो क्यों न मुस्करा के जीओ दोस्तो,
हो जायेगा मुरीद वो भी, जिसको कहते हो रक़ीब...
काश ज़िंदगी भी एक किताब होती
और ये उम्र अपनी बे हिसाब होती
जो चाहते वो पन्ना पलट देते हम
अपनी जिंदगी बस अपने हाथ होती
भला यूं ही ख्वाब क्यों देखता कोई
फिर तो सारी कायनात साथ होती
दुख का पन्ना फाड़ देते किताब से
हर वक़्त खुशियों की बरसात होती
हम जुदाई का शब्द ही मिटा देते
हर वक़्त अपनों से मुलाकात होती
काश ज़िंदगी…