उनके बिन ये घर मेरा, वीरान बन कर रह गया
मेरे दिल का हर कोना, सुनसान बन कर रह गया
कभी उनके प्यार से जगमग थीं यहाँ महफिलें,
आज वो बस अंधेरों का, सामान बन कर रह गया
ख़्वाब बन कर रह गयीं गुलशन की वो खुशबुएँ,
दिल मेरा बिन फूल का, गुलदान बन कर रह गया
मेरा तो बस नाम था, कभी उनके ही नाम से,
उनके बिन अब नाम भी, बे नाम बन कर रह गया
हर वक़्त रहते थे हम जिनके चेहरे की चमक में,
अब उनका दीदार तो बस, अरमान बन कर रह गया
हमारी चाहत को, अपनी चाहत बना के तो देखो
कभी हमारे ज़ख्मों को, अपना समझ के तो देखो
कभी न समझी हमारे आँसुओं की कीमत तुमने,
आँखों से बहता ये दरिया, ज़रा पास आके तो देखो
हमने तो अपनी हर सांस नाम कर दी है तुम्हारे,
कभी हमारी धडकनों को, अपनी बना के तो देखो
बड़े ही प्यार से बख्सी है हमको ये ज़िंदगी उसने,
कभी उसी के नाम पर, मोहब्बत निभा के तो देखो...
अनजान सा डर मुझे डराता क्यों है
जो गुज़र गया वो याद आता क्यों है
ढूढ़ती हैं हर वक़्त ये निगाहें किसको,
जो दूर है वही दिल को भाता क्यों है
ढूढता हूं उसको जिसे देखा नहीं कभी,
गर नहीं है तो ख्वाबों में आता क्यों है
दिल तो पागल है अंजान साये के लिये,
गर साया है वो तो दिल जलाता क्यों है
दुनिया में और भी हैं दिल लगाने को,
रास्ता बंद है उधर ये दिल जाता क्यों है
हर ख़्वाब किसी का पूरा हो ज़रूरी नहीं,
फिर भी ये बात हर शख़्स भुलाता क्यों है
तेरे सिवा इस दुनिया में, मेरा अपना कुछ भी नहीं
मेरी अपनी झोली में, यादों के अलावा कुछ भी नहीं
उपहास बनाती मौत मेरा कहती है वो आ आ कर,
तू ही बता ले जाऊँ क्या, तुझमें तो अब कुछ भी नहीं
मै तो हारा अपना दिल पाने के लिये तुझको लेकिन,
तूने तो दिल ही तोड़ दिया, इसके अलावा कुछ भी नहीं
कहने को तो सब कुछ है बे शक इस दुनिया में मगर,
तू ही नहीं है पहलू में, तो सब कुछ होना कुछ भी नहीं...
यारो, मुझे प्यार के गीत सुनाने नहीं आते
दिलों में, उलफत के दीये जलाने नहीं आते
अंदर कोहराम तो बहुत उठता है मगर,
मुझे दिल के तूफान, होंठों पे लाने नहीं आते
लोग तो दर्द घोल देते हैं बातों में मगर,
मुझ अनाड़ी को, दर्द से भरे फ़साने नहीं आते
मैं तो सीधी ज़िंदगी जीने का आदी हूँ,
औरों की तरह, फ़रेबी सपने दिखाने नहीं आते...