आज नसीब साथ है, तो उसका सबब तुम हो
खुशियाँ मेहरवान हैं, तो उसका सबब तुम हो
मैं कैसे न लुटा दूं जान तुम पर सनम,
मेरी साँसें मेरे साथ हैं, तो उसका सबब तुम हो
इस ज़माने के कितने रंग देखे हैं मैंने,
वो दुनिया मेरे साथ है, तो उसका सबब तुम हो
पतझड़ ने तोड़ फेंका पत्ता पत्ता जिसका,
गुलशन में फिर बहार है, तो उसका सबब तुम हो
जो दिल डूबा था कभी मुस्तक़िल अंधेरों में,
हर कोना उसका रोशन है, तो उसका सबब तुम हो...
ज़िंदगी तेरे हर कदम पे रोना आया
तेरे सफर की हर डगर पे रोना आया
कैसे जिया हूँ अब तक ये खुदा जाने,
आज उसके भी करम पे रोना आया
कभी मुकद्दर तो कभी वक़्त से गिला,
मुझे तो तेरे हर भरम पे रोना आया
नचाया है खूब अपने इशारों पे मुझे,
मुझे तो मेरी बदनसीबी पे रोना आया
कहते हैं कि ज़िंदगी हसीन होती है,
पर मुझे तो तेरे हुस्न पे रोना आया
इसके चंगुल में ऐसा फंसा हूँ दोस्त,
कि मुझे तो अपने जीने पे रोना आया...
ज़िंदगी के सफर में, मैं बिखरता ही रहा
गिर गिर के फिर से, मैं संवरता ही रहा
आते रहे ग़म के तूफ़ां रस्ते में लेकिन,
दिल में हौसले का सूरज, चमकता ही रहा
गर्दिशों में न मिला सहारा अपनों से ज़रा,
मुसाफिर की तरह यूं ही, मैं भटकता ही रहा
पल पल सिमटते गये ज़िंदगी के लम्हें,
न मिला हमसफ़र कोई, मैं मचलता ही रहा
चंद कदमों का फासला ही बचा है अब,
सुकून ही सुकून है जिसको, मैं तरसता ही रहा...
ज़िंदगी तो वीरान है, और बस कुछ भी नहीं
यूं धड़कनें ही शेष है, और बस कुछ भी नहीं
दुनिया के अजब चक्र में फंस गया हूँ मैं यारो,
इतना सा फसाना है, और बस कुछ भी नहीं
कोई ख्वाहिश न बची कुछ भी पाने की अब,
ज़रा सा प्यार चाहिये, और बस कुछ भी नहीं
ज़िंदगी के सफर में कांटों की कमी नहीं यारो,
अकेला ही चलूँगा मैं, और बस कुछ भी नहीं
मिलाया था हाथ जिनसे अपना समझ कर,
उसने ही दिया धोखा, और बस कुछ भी नहीं
अपनो से ज्यादा तो गैरों ने समझा मुझे,
दूर की सलाम काफी है, और बस कुछ भी नहीं...