अलग अपना घर बसा कर क्या मिला हमको
रिश्तों को अकारण तोड़ कर क्या मिला हमको
कभी कितना विशाल था अपने घर का आंगन
पर टुकड़ों में उसको बांट कर क्या मिला हमको
मुस्कराते थे कभी कितने फूल मन उपवन में
पर खुद ही उसे बरबाद कर क्या मिला हमको
सबसे अलग दिखने की चाहत का क्या कहिये
पर खुद को यूं मशहूर कर क्या मिला हमको
सोचता होगा भगवान भी सर पकड़ कर,
कि इस इंसान को बना कर क्या मिला हमको ?
खुशबू का असर तो, हवाओं में बिखर जायेगा
क्या सोचा है कभी, वो टूटा फूल किधर जायेगा
बस कुचल देगा जमाना उसे बासी समझ कर,
खुशियों का प्रतीक पुष्प, मिट्टी में बदल जायेगा
अपने लिये मिटा देते हैं औरों की खुशी लोग,
जब बीतेगी कभी अपने पर, तब समझ आयेगा
मत बनो तुम किसी की खुशी के दुश्मन,
वर्ना खुदा का कहर, तुम पर भी बरस जायेगा
ये #ज़िंदगी अनमोल है, इसे जी भर के प्यार करो
अपने बुलंद हौसलों पर, ज़रा सा ऐतबार करो
वो वक़्त ज़रूर आयेगा जिसकी है तुम्हें तलाश,
तुम उसके इशारे का, बस थोड़ा सा इंतज़ार करो...
टूटे हुए रिश्तों ने, जीना दुशवार कर दिया
बिखरे हुए ख़्वाबों ने, दिल बेक़रार कर दिया
खुशियाँ कभी कनीज़ हुआ करती थीं हमारी,
पर समय के फेर ने, हँसना हराम कर दिया
क्या झाँकते हो इन फटे पर्दों के पीछे दोस्त,
मुक़द्दर की मार ने, सब फटे हाल कर दिया
कुछ न बचा बाक़ी अब, दिखाने के लिये
आबरू थी पर्दे में, उसे सुपुर्दे अवाम कर दिया
दुश्मन हूँ तेरा, तो दिल जलाने के लिये मिल
तू एक बार फिर से, मुझे रुलाने के लिये मिल
अरे कुछ तो कद्र कर मेरे #प्यार की ज़ालिम,
झूठा ही सही, दुनिया को दिखाने के लिये मिल
किस किस से छुपाएँ अपने दिल के ज़ख्म,
मरहम न सही, तो नमक लगाने के लिये मिल
ज़िंदगी भर मैं ही मनुहार करता रहा तेरी,
अगर प्यार नहीं तो, मुझे सताने के लिये मिल
नादान दिल देखता है सिर्फ तेरे ही ख़्वाब,
उस नादान को, फिर सबक सिखाने के लिये मिल
जानता हूँ लम्बी है मजबूरियों की फेहरिस्त,
तू अपनी मज़बूरियां फिर से बताने के लिये मिल
ज़िंदगी की गाड़ी तो न चल सकी साथ तेरे
कम से कम, दो पल तो साथ बिताने के लिये मिल...