Shanti Swaroop Mishra

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Ab Umeed Nazar Nahi Aati

ज़िंदगी से अब कोई उम्मीद नज़र नहीं आती
संभलने की अब कोई तदबीर नज़र नहीं आती
ज़नाजा तो उठना है एक दिन ज़रूर
पर अभी से क्यों रातों को हमें नींद नहीं आती
बहुत हंसते थे औरों के बदहाल पर हम
अब तो किसी हालात पर हमें हंसी नहीं आती
अब तो चुप रहना है मज़बूरी हमारी वर्ना
दुनिया में कौन है जिसे बात करनी नहीं आती
कितना चिल्लायें हम कि वो सुन पाएँ
सुना है हमारे रोने की उन्हें आवाज़ नहीं आती
हमारी आरज़ू है कि वो सलामत रहें सदा
पर हमें अपनी ये ज़िंदगी अब रास नहीं आती...

Kya Unko Ye Khyal Aaya Hoga

क्या उनके लबों ने कभी मेरा गीत गुनगुनाया होगा
क्या किसी के पूछने पर उसने मेरा नाम बताया होगा
सुन के मंज़र मेरी बर्बादियों का किसी और से
क्या उनके खयालों में मेरा अक्श उभर आया होगा
बड़ी खुशफहमी पाल रखी है दिल ने उनके लिये
भला मेरे बदहाल से उन पर क्यों असर आया होगा
अपनी बेवफाई का आलम भूल पायेंगे कैसे भला
उन का दिया वो दर्द क्या उनको समझ आया होगा
हम तो गुनाहगार मानते हैं ख़ुद को अब भी
क्या उनके भी दिल में कभी ये ख्याल आया होगा...

Fir Dastak Di Kisi Ne

दिल की दहलीज पर, फिर दस्तक दी है किसी ने
आज मेरे अरमानों को, फिर महक दी है किसी ने
अंधेरों में गुम ज़िंदगी जी रहा था मैं तो,
पर बुझते हुए दीये को, फिर चमक दी है किसी ने

Wo Hamesha Rulate Rahe

वो दुनिया के सामने, अपना दर्द तो सुनाते रहे
पर हमारे बदहाल पर वो, हमेशा मुस्कराते रहे
हम बांटते रहे उनका ग़म ज़िंदगी भर,
पर वो थे कि हमारे दिल को हमेशा रुलाते रहे...

Unki mohabbat khuda ho gayi

मेरी तक़दीर जाने कहाँ सो गयी है
अधरों की मुस्कान कहाँ खो गयी है
जीने की चाहत गयी है ठहर सी
मानो ज़िंदगी हमसे ख़फा हो गयी है
चाहत में एक कर दिये रात दिन
वो चाहत भी हमसे ज़ुदा हो गयी है
हमें गुमान था वो अपने हैं शायद
वो गलतफहमी अब दफा हो गयी है
सोचते थे उन पर है सिर्फ हक़ हमारा
पर उन पर तो दुनिया फिदा हो गयी है
बात यहीं खत्म होती तो शुक्र था पर
उनकी मोहब्बत अब ख़ुदा हो गयी है