मौत से क्यों डरते हैं हम, उसे तो आना ज़रूर है
क़फन तो अखिरी चोला है, उसको बदलना ज़रूर है
इस रुखसती को देख कर क्यों ग़मगीन हो दोस्त,
आज किसी का कल किसी का, जनाज़ा उठना ज़रूर है
किसी को शमशान पहुंचा कर क्यों रोते हैं लोग,
जबकि हर किसी को एक दिन, वहां जाना ज़रूर है
दुनिया के राग रंग में यूंही डूब जाते हैं लोग,
जबकि यहाँ से सब कुछ छोड़ कर, जाना ज़रूर है...
इन फरेबों से भरी दुनिया में, ऐतबार है दोस्ती,
अपनी मंज़िल पाने के लिये, सह सवार है दोस्ती,
क्यों गुमसुम हो तनहाइयों के धुंधलके में यारो,
जीवन की अंधेरी राहों के लिये, उजियार है दोस्ती
जाने क्यों वो मेरे खयालों में चले आते हैं
रिसते हुए ज़ख्मों को कुरेदने चले आते हैं
बामुश्किल भूला हूं मैं उनके दिये वो ग़म
फिर भी जानें क्यों वो दर्द देने चले आते हैं
अब नहीं बचा मोहब्बत के नाम पर कुछ
फिर क्यों मन में तूफान उठाने चले आते हैं
वादा किया था कोई रिश्ता नहीं शेष अब
वो फिर भी क्यों मेरे ख्वाबों में चले आते हैं...
प्यार की बातें, दिल से लगाना छोड़ दिया हमने
बहुत रो लिये, अब आंसू बहाना छोड़ दिया हमने
बहुत बेवफाइयां झेली हैं इस दिल ने यारो,
हँसना ही क्या, अब तो मुस्कराना छोड़ दिया हमने
अपनों के दिये ज़ख्मों से बेचैन है ये दिल,
उनके पहलू में, अब सर झुकाना छोड़ दिया हमने
सारी उम्र मुश्किलों से जूझते रहे रात दिन,
अब जमाने को, अपने ग़म बताना छोड़ दिया हमने
तमाशबीन है ये दुनिया उसका क्या कहिये,
अब मदारी बन, उसे खेल दिखाना छोड़ दिया हमने