वो अपनी गंवाई नींदों का, कभी हिसाब नहीं रखती
रात भर गीले में सड़ने का, कभी हिसाब नहीं रखती
वो बच्चों का पेट भरती है खुद भूखे रहकर भी,
वो हिस्से में आये दुखों का, कभी हिसाब नहीं रखती
सिर्फ मुट्ठी भर प्यार की दरकार होती है मां को,
वो बच्चों पर लुटाये प्यार का, कभी हिसाब नहीं रखती
वो तो दीवानी होती है सिर्फ बच्चों के प्यार की,
अपने चेहरे पर आई झुर्रियों का, कभी हिसाब नहीं रखती
चाँदनी रात है फिर भी, अमावस नज़र आती है
मंद पवन की चाल भी, तूफान नज़र आती है
खुदा का इंसाफ देख कर दिल उदास है मेरा,
फूल खिले हैं पर उनमें भी, उदासी नज़र आती है
एक फूल जो कल तक महका था जिस डाली पर,
आज वो उसकी याद में, रोती सी नज़र आती है
कहीं खुशी की बयार बहती नहीं दिखती या खुदा,
जिधर देखता हूँ बस, पीड़ा ही पीड़ा नज़र आती है
वही गर्दिशें वही मुश्किलें बरकरार हैं आज भी
वही बेचैनियां वही हसरतें बरकरार हैं आज भी
कोशिश थी कि भूल जाऊँ तेरी बेवफाई मैं,
फिर भी तेरे दिये वो गम बरकरार हैं आज भी
खुशी के कुछ पल गुजारे थे साथ मैने कभी
हसीन लमहों की चंद यादें बरकरार हैं आज भी
न जाने कितने रंग बदले हैं अब तक तूने
पर मेरे वही रंग और रूप बरकरार हैं आज भी
ये आंधियाँ ये बारिशें, आती रहेंगी मेरे बाद भी
ये पतझड़ ये गर्मियां, आती रहेंगी मेरे बाद भी
मैं रहूं न रहूं क्या फर्क पड़ता है किसी को,
गुलोगुलशन में बहारें, आती रहेंगी मेरे बाद भी
न रहने से मेरे कुछ न बदलेगा जमाने में,
ये महफिलें तो रंग, जमाती रहेंगी मेरे बाद भी
मेले लगते हैं फिर उजड जाते हैं एक दिन,
दुनिया में यूं ही रौनकें, आती रहेंगी मेरे बाद भी