Shanti Swaroop Mishra

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Agar Apne Sath Ho

ये ज़िन्दगी सँवर जाये, अगर तो अपने पास हों,
शामो सहर बदल जाएँ, अगर तो अपने पास हों !
ठहरी हैं उदासियाँ जो आंखों में हमारी दोस्तो,
होगा खात्मा उनका भी, अगर तो अपने पास हों !
महकता है #गुलशन भी मौसम के हिसाब से ही,
वेवक़्त महकेगा वो भी, अगर तो अपने पास हों !
तन्हाइयों की ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी है यारो,
जमेंगी फिर से महफ़िलें, अगर तो अपने पास हो !
निरी उलझनों का सामान है ये ज़िन्दगी भी दोस्त ,
सुलझेगी हर उलझन भी, अगर तो अपने पास हों !!!

Agar seh sako to chalo

गर राहों की मुश्किलों को, सह सको तो चलो,
गर तुम बेरुखी की धुंध में, रह सको तो चलो !
ये जमाना न बदला है न बदलेगा कभी भी,
गर उसके बिछाए काँटों से, बच सको तो चलो !
कोई न निकलने देगा अपने से आगे दोस्त,
गर गिरा के तुम किसी को, बढ़ सको तो चलो !
डूबा हुआ है सूरज अब शराफ़त का आजकल,
गर इस गर्दिश ए अंधेरां में, चल सको तो चलो !
बदल चुकी है हवाओं की तासीर भी अब तो,
गर खिलाफ इन हवाओं के, चल सको तो चलो !
ये अपने परायों का मसला छोड़ भी दो दोस्त ,
गर छोड़ कर अब शराफ़तें, चल सको तो चलो !!!

Chalo Kahin Aur Chalein

अब इस भीड़ में घुटता है दम, चलो कहीं और चलें,
ढूंढनी है सर-सब्ज़ फ़िज़ा, तो चलो कहीं और चलें !
सांस लेना भी है दूभर इस कंक्रीट के जंगल में अब,
गर लेनी है साँसें सुकून की, तो चलो कहीं और चलें !
तू भी दुखी है मैं भी दुखी हूँ इस मंज़र से अय दिल,
सुलझेंगे अपने भी मसले उधर, चलो कहीं और चलें !
कभी गूंजती थीं हर तरफ शहनाइयों की मीठी धुन,
अब तो हर तरफ है बस हंगामा, चलो कहीं और चलें !
कभी बहती थीं नदियां दूध की कहते हैं पुराने लोग,
मगर अब तो मौज़ है शराब की, चलो कहीं और चलें !
कभी महकती थीं खुशुबुएं इस हमारे शहर में दोस्तो,
इधर तो धुंध ही धुंध है हर तरफ, चलो कहीं और चलें !!!

Kisko Dosh Du Yaaro

खुद अपने ही दीये ने, अपना घर जला दिया ,
समझा जिसे दिल, उसने ही दिल जला दिया !
तमन्नाओं का हुज़ूम लिए बैठे रहे उम्र भर,
इंतज़ार ए वक़्त ने, हमें बुझदिल बना दिया !
न जीना ही सीख पाए ठीक से न मरना ही,
हमने खुद को ही, खुद का क़ातिल बना दिया !
न चाहत सुकून की न फ़िक्र मौजों की यारो,
#ज़िन्दगी को बेकशी की, महफ़िल बना दिया !
किसको दोष दूं खुद को या तक़दीर को "यारो,
संभलते संभलते भी, अपना दामन जला दिया !!!

To jane kya hota

होती हर किसी पे दौलत, तो जाने क्या होता,
हो जाती चाहतें सब पूरी, तो जाने क्या होता !
किसी के #दिल में है क्या न जानता कोई भी,
उसका मन भी पढ़ सकते, तो जाने क्या होता !
मुंह सीं के जी लिए इस दुनिया में हम तो यारो,
गर हमारी भी जुबां चलती, तो जाने क्या होता !
सर झुका के रहे तब तो उठाईं जिल्लतें इतनी,
गर सर उठा कर चलते हम,तो जाने क्या होता !
बामुश्किल मिली है मंज़िल चलके सीधी राहों पे,
गर हम भी चलते चाल टेढ़ी, तो जाने क्या होता !
एक ख़ुदा नचाता है दुनिया को इशारों पे अपने,
अगर सब के सब ख़ुदा होते, तो जाने क्या होता !
कई बार सोचा है ख़ुदा बन कर हमने भी दोस्त,
अगर हम न रहते दुनिया में, तो जाने क्या होता !!!