सुकून मिलता है, जब मुलाक़ात होती है,
वो ज़िन्दगी की, एक हसीन रात होती है !
चले जाते हैं वो छोड़ कर जब साथ मेरा,
यादों में उनकी, ये सारी कायनात रोती है !
क्या करें #दिल को न मानता वो किसी की,
आँखों से, सावन भादों की बरसात होती है !
मिटा नहीं सकता कोई तक़दीर का लिखा,
जहां भी जाते हैं हम, वो हमारे साथ होती है !
ये #ज़िंदगी भी एक खेल है शतरंज का दोस्त,
इस में कभी तो शह, तो कभी मात होती है !
जो न मिल सके, उसे पाने की कोशिश न कीजिये,
अंजान को, अपना बनाने की कोशिश न कीजिये !
हर रास्ता मंज़िल पर पहुंचाएगा ये ज़रूरी नहीं,
यूं ही अंजान राहों पे, जाने की कोशिश न कीजिये !
मुखौटे में छुपाए फिरते हैं लोग औकात अपनी,
उनके झांसे में, कभी आने की कोशिश न कीजिये !
तज़ुर्बा है कि नहीं मिलता मुफ्त में कुछ भी कहीं,
खुद को लालच में, फंसाने कि कोशिश न कीजिये !
जल मरते हैं क्यों परवाने भला शमा को क्या खबर,
मगर खुद को यूं ही, जलाने की कोशिश न कीजिये !
बिसरी यादों को दिल से, हम निकलने नहीं देंगे,
सताए कितना भी ये दिल, हम मचलने नहीं देंगे !
भले ही भर जाये मेरा #दिल ज़फाओं के ज़ख्मों से,
मगर अपनी जुबाँ से आह, हम निकलने नहीं देंगे !
चाहे कितना भी ज़ोर डालें ये ज़माने की साजिशें,
दिल से #मोहब्बत का जज़्बा, हम सिमटने नहीं देंगे !
ज़िन्दगी का जीना कोई खेल तमाशा नहीं दोस्तो,
इसे मनहूसियत के लबादे में, हम लिपटने नहीं देंगे !
बड़े ही अजीब हैं ज़िन्दगी के ताने बाने भी दोस्त,
मगर अपना भी वादा है कि, हम उलझने नहीं देंगे !
निगाहों को न जाने किसकी तलाश है,
रात दिन उसको ही पाने की प्यास है !
न कोई नाता न कोई रिश्ता है उससे ,
फिर भी अपनेपन का इक अहसास है !
चाहने वाले हमारे भी कम नहीं यारो,
पर दिल को उसकी चाहत ही खास है !
सूना पड़ा है अब दिल का आइना दोस्त,
ज़िगर का हर कोना उदास ही उदास है !
हमें तो दिल लगाने के, अब लायक न छोड़ा,
दिल को और ग़म उठाने के, लायक न छोड़ा !
कुछ इस क़दर ज़ुल्म ढाये हैं अय ज़िंदगी तूने,
कि हमें तो मुस्कराने के, अब लायक न छोड़ा !
कभी बहुत रसूक था अपना भी जमाने में मगर,
बद वक़्त ने नज़र मिलाने के, लायक न छोड़ा !
अब तो आती है हंसी हमें अपने झूठे गुरूर पर,
ख़ुदाया ख़ुद को ही जमाने के, लायक न छोड़ा !
फ़ितरतों ने ऐसा खिलाया गुल अपनों के साथ,
कि हमें फिर से दिल मिलाने के, लायक न छोड़ा !