Shanti Swaroop Mishra

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Dil jodne ki koshish

दुनिया की झूठी रिवायतें, तोड़ने की कोशिश में हूँ,
टूटे दिलों की ख्वाहिशें, मैं जोड़ने की कोशिश में हूँ !
मोड़ लिए थे रास्ते कभी अंधेरों की तरफ जिन्होंने,
उनकी राहों को उजालों में, मोड़ने की कोशिश में हूँ !
देखना है कि भरा है कितना विष अपनों के दिलों में,
बस वो ज़हर भरी गागर, मैं तोड़ने की कोशिश में हूँ !
ज़रा सी बात को इज़्ज़त का सवाल बना लेते हैं लोग,
भरा है जो दिलों में अहम, मैं तोड़ने की कोशिश में हूँ !
भूल गए हैं लोग अपने अतीत का वो सफर,
उन्हें फिर पुराने सफर पे, मैं छोड़ने की कोशिश में हूँ !

Dard dil se lagaya humne

बड़ी ही शिद्दत से रिश्ता, उनसे निभाया हमने,
उनके हर दर्द को, अपने #दिल से लगाया हमने !
उनकी ख़ुशी से खुश होता रहा दिल मेरा भी,
सदा ग़म की घडी में, अपना दिल जलाया हमने !
कट गयी सारी #ज़िन्दगी उनकी ही जी हुज़ूरी में,
मगर खुद के लिए, हवाओं में महल बनाया हमने !
अफ़सोस कि वो तो निकले गैरों से भी बदतर,
जिसे कि ज़िन्दगी भर, अपना ख़ास बताया हमने !
एक लम्हा भी न आया कि हम भी हंस लेते कभी,
इस जीवन को बस फ़िज़ूल, दोज़ख बनाया हमने !

Mohabbat ka saroor

न जाने मोहब्बत का कैसा ये सरूर होता है,
वो उतना ही पास होता है जितना दूर होता है
सब जानते हैं कि कांटे भरे हैं इसकी राहों में,
पर इस पे चलना हर किसी को मंज़ूर होता है
बराबर हैं अमीर या गरीब निगाहों में इसकी
कभी न कभी हर कोई शिकार ज़रूर होता है
वो रोता है जो हारा है #मोहब्बत के खेल में,
पर रोता वो भी है जिसे जीतने का गरूर होता है !!!

Apne badal jate hain aksar

कुछ बेचना चाहो तो, दाम घट जाते हैं अक्सर,
खरीदना है कुछ भी, दाम बढ़ जाते हैं अकसर !
न झांकता कोई भी हमारी ज़रुरत पे कभी भी,
मगर अपने मतलब से, दिल दुखाते हैं अकसर !
कर डाली क़ुर्बान जिन पर सारी दौलतें हमने,
हमसे वो बच्चे भी अब, दूरीयां बनाते हैं अक्सर !
वक़्त के साथ बदल जाती हैं दुनिया की रस्में,
जो दिखते थे कभी अपने, बदल जाते हैं अक्सर !
इसी को कहते हैं असलियत में #ज़िन्दगी ,
जहां बहार हो या पतझड़, आते जाते हैं अक्सर !!!

Dil Ko Sahara To Do

गर बस में नहीं है कुछ भी, तो झूठा दिलासा तो दे !
चल बातों का ही सही, दिल को कुछ सहारा तो दे !
डूबते हुए को तो तिनके का सहारा भी काफी है,
कम से कम तू, साथ निभाने का कोई वादा तो दे !
तू समझता है कि शायद तेरा भी गुनहगार हूँ मैं,
तो तू भी मुझ को, दी सजा का कुछ इशारा तो दे !
सींचा है प्यार का ये पौधा बड़े ही जतन से दोस्त,
कर दे बर्बाद मगर, नफ़रत का कुछ मसाला तो दे !
वक़्त के साथ क्यों टूट जाते हैं अटूट रिश्ते,
कोई रिश्ता तोड़ने से पहले, सबब का हवाला तो दे !