दिल के तूफ़ान को, होठों तक ज़रा आने तो दीजिये,
ग़मों के काले बादलों को, दूर ज़रा जाने तो दीजिये !
दुखाया है #दिल हमारा इन बेकार के जज़्बातों ने ही,
अब दिलों की कालिखों को, ज़रा मिटाने तो दीजिये !
ज़िगर में लगे ज़ख्मों को यूं नासूर न बनने दो दोस्त,
हाज़िर हैं हम आज भी, मरहम ज़रा लगाने तो दीजिये !
खुदा के वास्ते मिटा दो वो पुरानी बदरंग यादें,
नए रंगों से हम को रंगोलियां, ज़रा सजाने तो दीजिये !
दुनिया में किसी का कोई, ग़म बंटाने नहीं आता,
कोई लफ़्ज़ों का मरहम भी, अब लगाने नहीं आता !
बाद मरने के निकल आते हैं जाने कितने रिश्ते,
अफ़सोस कोई जीते जी, रिश्ता निभाने नहीं आता !
दोस्ती ही काम आती है #ज़िन्दगी में एक हद तक,
वरना तो कोई अपना, झलक दिखलाने नहीं आता!
दूर वालों से भला क्या गिला शिकवा करें हम
अब तो पडोसी भी, अपना फ़र्ज़ निभाने नहीं आता !!!
औरों के लिए बुनता है, कपट का जाल आदमी,
मगर खुद ही फंस कर होता है, बेहाल आदमी !
ज़िन्दगी भर भुगतता है वो अपने ही करम को,
पर फिर भी न बाज़ आता है, बेखयाल आदमी !
कभी करता है धोखा वो सच्ची #मोहब्बत में भी,
तो बनाता है झूठ को भी सच, ये कमाल आदमी !
कभी खो जाता है दुनिया की भीड़ में बस यूं ही,
तो कभी दुनिया में बनता है, एक मिसाल आदमी !
कभी रुलाता है औरों को तो कभी रोता है ख़ुद भी,
मित्रो कुछ ऐसा है अनपूंछा, एक सवाल आदमी !!!
किसी की ज़िन्दगी, किसी को मिटाने का क्या हक़ है,
खुद की ख़ुशी के लिए, औरों को रुलाने का क्या हक़ है !
कोई अपने सफर में गिरे या उठे ये तो है उसकी मर्ज़ी,
पर दौराने सफर, किसी और को गिराने का क्या हक़ है !
कोई न दे किसी को दौलत अपनी तो कोई बात नहीं,
मगर उसे किसी और की, दौलत चुराने का क्या हक़ है !
न चाहिए हमसफ़र तो अकेले ही अकेले चलो दोस्त,
पर किसी का किसी को, रस्ते से हटाने का क्या हक़ है !
कोई छूता है ऊंचाइयां तो किसी को क्या गिला दोस्तो,
पर उसका औरों के सर पर, पांव ज़माने का क्या हक़ है !!!
न पूछो कि ज़िन्दगी ने, कितना रुलाया हमको,
कैसे खास अपनों ने, जी भर के सताया हमको !
हमने तो की #मोहब्बत बे इंतिहां सब से मगर,
यारों ने फूल बता कर, काँटों पे चलाया हमको !
छलों व प्रपंचों की दुनिया में जी तो लिए मगर,
लोगों के गिरे ज़मीर ने, ताउम्र सताया हमको !
कैसे बदल लेते हैं लोग रंग गिरगिट की तरह,
इस मतलबी जमाने ने, हर रंग दिखाया हमको !
क्या करें मज़बूर हैं हम अपनी फ़ितरत से,
न जाने इस आदत ने, कब कब रुलाया हमको !!!