Shanti Swaroop Mishra

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Apne Hi Jiada Rulate Hain

तमन्नाओं को लोग, पूरा होने नहीं देते,
खुशियों के बीज वो, कभी बोने नहीं देते...
क्यों कर रुलाता है सब से ज्यादा वही,
जिसको कभी भी हम, यूं रोने नहीं देते !
हम तो टूटने के लिए बेक़रार हैं लेकिन,
दुनिया वाले फिर से, एक होने नहीं देते !
ज़फ़ाओं का तूफ़ान मचलता है जब कभी,
तो बर्बादियों के निशाँ, हमें सोने नहीं देते !
बुरा बनता है वही जो लुटाता है सब कुछ,
खुश हैं वो जो, अठन्नी भी खोने नहीं देते !

Humko Kuch Yaad Nahi

क्या क्या खोया क्या पाया, हमको कुछ भी याद नहीं !
किसने अरमानों को कुचला, हमको कुछ भी याद नहीं !
उतर गए थे हम तो यूं ही इस दुनिया के सागर में,
किसने बीच भंवर में छोड़ा, ये हमको कुछ भी याद नहीं !
इस कदर हुए कुछ ग़ाफ़िल हम इस परदेस में आकर,
कब कैसे अपना घर हम भूले, हमको कुछ भी याद नहीं !
किसे बताएं किस किस ने लूटा चैन हमारे जीवन का,
इस दिल को किसने कैसे नोंचा, हमको कुछ भी याद नहीं !
जो उलझ गए थे ताने बाने कभी न सुलझा पाये हम,
कहाँ कहाँ पर गांठ पड़ गयीं, ये हमको कुछ भी याद नहीं !

Qatil ko farishta samajh baithe

फरेबियों को तो हम, अपना समझ बैठे
हक़ीक़त को तो हम, सपना समझ बैठे
मुकद्दर कहें कि वक़्त की शरारत कहें,
कि पत्थर को हम, #ज़िन्दगी समझ बैठे
दुनिया की चालों से न हुए बावस्ता हम,
और उनको हम, अपना #खुदा समझ बैठे
दाद देते हैं हम खुद की अक्ल को ,
कि क़ातिलों को हम, फरिश्ता समझ बैठे
 

Dil tod jate hain log

लोग दिल में घुस कर, चले आते हैं क्यों,
फिर #तमन्ना जगा कर, चले जाते हैं क्यों...
जब साथ जीने की जगती है थोड़ी आशा,
वो तभी #दिल तोड़ कर, चले जाते हैं क्यों...
करते हैं भरोसा जान से ज्यादा जिन पर
वो छोड़ कर ज़रुरत पर, चले जाते हैं क्यों...
मुखौटे चढ़ा कर दिखते हैं वो शरीफ़ज़ादे,
पर वो #नसीब जला कर, चले जाते हैं क्यों...
जिन्हें उम्र भर समझते रहे अपना,
वक़्त बेवक़्त वो रुला कर, चले जाते हैं क्यों !!!

Mohabbat ki shama jalti rahi

इस #दिल में, मोहब्बत की शमा जलती रही ,
यादों का बोझ लिए, ये ज़िन्दगी चलती रही !
आता रहा जलजला ज़माने भर का लेकिन,
बस टकराते रहे उस से, और उम्र ढलती रही !
उम्र भर सताता रहा फरेबियों का काफ़िला,
पर ख़ुदा के फज़ल से, जान बस बचती रही !
गर्दिशे दौरां में न पकड़ा बाजू किसी ने मगर,
दरिया ए ग़म से, ज़िंदगी बस निकलती रही !
यही है फ़साना तमाम #ज़िन्दगी का,
कभी ये ऊपर चढ़ी, तो कभी बस गिरती रही !