चढ़ते हुए सूरज को, सभी झुक कर सलाम करते हैं
मगर जब डूब जाता है वो, तो घर पे आराम करते हैं
जब तक शान है किसी की लोग करते है गुणगान,
पर जब बदलता है वक़्त, तो दूर से सलाम करते हैं
कल तक गुणों की खान हुआ करते थे जिनके लिए,
वही आज बता कर आवारा, हमको बदनाम करते हैं
कैसे हैं लोग कैसी है अजीबो गरीब फ़ितरत उनकी,
कभी कभी तो यहां, अपने भी गैरों सा काम करते हैं...
हमने तो हर वक़्त, तेरी हर बात मानी थी
तुमने दिन को रात कहा, तो रात मानी थी !
मैं क्या हूँ तेरी नज़र में ये तो ख़ुदा जाने,
मैंने तो तुम्हें, #ख़ुदा की दी सौगात मानी थी !
शरीर मेरा है पर रूह बसती है तेरी इसमें,
तेरी हर सांस मैंने, अपनी ही सांस मानी थी !
तू न समझे इसे तो फूटी किस्मत है मेरी,
वर्ना ख़ुदा से भी ज्यादा, तेरी बात मानी थी !
कभी सोचना #दिल पे हाथ रख कर,
कि ये सच था या फिर, ज़रा भी बेईमानी थी !
न गिरो नीचे इतना, कि निकलने में मुश्किल होगी !
जब होंगे जुदा दो दिल, तो मिलने में मुश्किल होगी !
गर कानों के कच्चे हो तो न बनाओ रिश्ते किसी से,
वरना तो दूर तक, साथ चलने में ज़रा मुश्किल होगी !
दिमाग से बिचार लो कुछ भी करने से पहले दोस्त,
वरना असलियत जानोगे, तो जीने में मुश्किल होगी !
जो वक़्त गुज़र गया उसे बिसारने में भलाई है,
वरना #सफर आगे का, कटने ने में ज़रा मुश्किल होगी !
कभी कभार ज़िन्दगी, हमें आँख दिखा देती है
पर उसकी ये धमकी, हमें जीना सिखा देती है
बहुत जुदा है मेरे ज़ख्मों का मरहम साहिबान, #दर्द रहता है मगर, वो निशानों को मिटा देती है
हम तो कह देते हैं जो आता है #दिल में हमारे,
पर लोगों की समझ, तिल का ताड़ बना देती है
कैसे भूल जाएँ हम उनके दिए ज़ख्मों को यारो,
उनकी तो हर चाल हमें, बद हवास बना देती है
चाहे #ज़िंदगी भी दे दें हम किसी के लिए ,
मगर ज़रा सी भी बात हमें, दुश्मन बना देती है
ये दिल हमारा इस कदर, यूं फटा न होता
अगर ये अपनों के फेर में, यूं फंसा न होता
कुछ तो कुसूर है अपना पिछले जनम का,
वर्ना #नसीब अपना धूल से, यूं पटा न होता
जीत जाता हर कोई ज़िंदगी की जंग यारो,
गर #ज़िन्दगी में अहम का, यूं नशा न होता
किस कदर घुस कर दिलों में मारते हैं लोग,
अगर जान जाते पहले से, यूं हादसा न होता