न चाहो इतना भी, मोहब्बतों से डरते हैं हम
ठीक हैं ज़माने से दूर,अदावतों से डरते हैं हम
कोई शिकवा नहीं तुमसे न तुम्हारी वफ़ा से,
मगर यूं ही ख़ुदा की, फ़ितरतों से डरते हैं हम #प्यार तो जज़्बा है पनपता है जो हर दिल में,
पर बेरहम दुनिया की, नफरतों से डरते हैं हम
दिल की चाहतों पर न चलता है ज़ोर अपना,
बस दिल ए नादान की, हरकतों से डरते हैं हम
हमको #चाहत की हवा भी डरा देती है,
क्या करें यारो, उड़ने की हसरतों से डरते हैं हम
जो था कभी अपना, वो तो रिश्ता ही तोड़ गया
जो था सफर का साथी, वो #तन्हा ही छोड़ गया
जो ढूढ़ता था बहाना हमसे मिलने का हर दम,
वो बेवफा तो, इस शहर का रस्ता ही छोड़ गया
वक़्त के साथ देखो कैसे रंग बदलती है दुनिया,
आहिस्ता से #यार भी, हमें तरसता ही छोड़ गया
जो खुश हो के मिलता था कभी हमसे भी,
वो भी बुरे दौर में, हम को तड़पता ही छोड़ गया..
न मिली मंज़िल तो, राहें बदल डालीं
वक़्त बदला तो, निगाहें बदल डालीं
आसमानों को छूने का दम था मगर,
हमने तो अपनी, उड़ानें बदल डालीं
बड़ी शान थी कभी इस #शहर में मगर,
हालात बदले तो, महफ़िलें बदल डालीं
काँटों की चुभन इस क़दर रास आई कि,
हमने तो गुलों से, मोहब्बतें बदल डालीं
जीने के लिए और क्या चाहिए ?
हमने हँसने रोने की, आदतें बदल डालीं...
वक़्त के साथ, लोगों की फ़ितरत बदल जाती है
शौहरत के साथ, लोगों की चाहत बदल जाती है
एक वक़्त था कि #मुस्करा के उठते थे सुबह हम,
आज उठते हैं तो, चेहरे की रंगत बदल जाती है
दिखती हैं खड़ी मुसीबतें मुंह बाये सामने रोज़,
दिन ढलते ढलते, चेहरे की हालत बदल जाती है
सुबह जो खाते हैं ईमान ओ वफ़ा की कसम यारो,
सुबह से शाम होते, उनकी नीयत बदल जाती है
बिगड़ जाते हैं रिश्ते इस जुबाँ के तीरों से,
इनकी तीखी चुभन से, उनकी सूरत बदल जाती है...
ज़िन्दगी से उलझने से क्या फायदा
दुनिया को समझने से क्या फायदा
बदली है #दुनिया तो तू भी बदल जा
यूं निरर्थक मचलने से क्या फायदा
क्यों भर रखा है दिल में गुवारों को
यूं घुट घुट के मरने से क्या फायदा
गुज़ारे लम्हों को भला क्या सोचना
अपने आप से लड़ने से क्या फायदा
न तेरे बस की तो छोड़ दे #भगवान पे,
खुद ही #खुदा बनने से क्या फायदा
जो दिया है ख़ुदा ने सब्र कर उस पर
आफतों को खरीदने से क्या फायदा
मिलेगी #मंज़िल भी संभल कर चल
गलत राहों पे चलने से क्या फायदा