उनकी यादें ऐसी कि, दिल से मिटा भी नहीं सकते
दिल मांगता है वही, जो उसे दिला भी नहीं सकते
वक़्त ने कुछ इस कदर सिल दी है हमारी ज़ुबान,
कि दिल की चीखें, किसी को सुना भी नहीं सकते
अफ़सोस होता है अपनी इस बेबस ज़िन्दगी पर,
कि दास्तान ए ग़म, किसी को बता भी नहीं सकते
सोते हैं चैन से वो क्या जानें आसमां का आलम,
कितना चिढ़ाते हैं सितारे, हम जता भी नहीं सकते
बेवफाओं की नगरी है ये ज़रा बच के रहिये,
गर घोंप दे खंज़र कोई, खुद को बचा भी नहीं सकते...
गुलाब दिवस तू, रोज़ रोज़ क्यों नहीं आता
तू दुनिया को खुश रहना, क्यों नहीं सिखाता
खुद तो कांटों में रह कर भी मुस्कराता है,
पर लोगों को अपना जैसा, क्यों नहीं बनाता
तुझे बस प्यार की निशानी समझते हैं लोग,
पर कैसे जीता है तू, समझ क्यों नहीं आता
क्यों न कभी गुलाब सी ज़िंदगी जियो यारो,
खुद सोचोगे कि तुम्हें, रोना क्यों नहीं आता...
न कुछ भी उनका क़ुसूर था, न कुछ मेरा क़ुसूर था
पर जब देखा दिल में झांक कर, वो तो मेरा गुरूर था
वो हमेशा मेरे क़रीब थे, कभी मैं भी न उनसे दूर था
दे दिया बस दिलों न धोखा, ये सारा उनका क़ुसूर था
न #दिल की गाँठ खोली न दर्द देखा आँखों में उनकी,
मैंने मुद्दत यूं ही गुज़ार दी, मस्ती में इतना चूर था
आँखों को खोल कर रखो जाने कब दीदार हो जाएँ,
बाद में मत कहना कि, ये नज़रों का क़ुसूर था...
मेरा भी साथ देता कोई, तो सिमिट जातीं दूरियां
इस ज़िन्दगी के सफर में, न होती यूं मज़बूरियां
मुश्किलों का मेला है बस ये ज़िन्दगी का कारवां,
नज़दीक रह कर भी बना लीं, हर आदमी ने दूरियां
याद आई मंज़िलों की अधूरी दास्तां कुछ इस कदर,
कि दिल के दामन से लिपट कर, रो पड़ीं मज़बूरियां
जो ख्वाहिशें पाली थी दिल ने फ़िज़ूल में ही ,
उनको भी यूं ही खा गयीं, ये लाचारियां ये मज़बूरियां
न दिन को चैन, न रातों को क़रार मिला
मेरे #नसीब के हिस्से, बस इंतज़ार मिला
न पा सका उनको ये मेरी बद्नसीबियां,
मगर ख़यालों में उनसे, मैं सौ बार मिला
जिधर भी निकला ज़रा से सुकूँ के लिए,
मुझे तो हर जगह, मौसमे तक़रार मिला
अब तो न रहा खुद पे भी भरोसा,
मुझे तो हर जगह, झूठ का व्यापार मिला...